भारत सरकार ने हाल ही में आदेश दिया है कि सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को नए और आने वाले फोन में sanchar saathi ऐप प्री-इंस्टॉल करना होगा। पुरानी डिवाइसेस में, इसे सॉफ़्टवेयर अपडेट के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, निर्देश में कहा गया कि ऐप को यूज़र द्वारा डिसेबल या हटा नहीं पाना चाहिए।
संचार साथी क्या है संक्षिप्त विवरण
संचार साथी ऐप (Sanchar Saathi) एक सरकारी साइबर-सुरक्षा ऐप है, जिसे चोरी हुए या फर्जी मोबाइल ट्रैक करने, IMEI चेक और फोन सुरक्षा आदि के उद्देश्य से पेश किया गया था।
Sanchar Saathi app के लिए Apple / iPhone का रुख
Apple ने इस निर्देश का पालन न करने का निर्णय लिया है। कंपनी के सूत्रों के अनुसार, Apple वैश्विक रूप से इस तरह के सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप्स को प्री-इंस्टॉल नहीं करती है, क्योंकि यह उसके iOS इकोसिस्टम की प्राइवेसी और सिक्योरिटी पॉलिसी के विपरीत है।
Apple ने सरकार को यह अपनी आपत्तियाँ बताई हैं, और कहा है कि वह इस आदेश के तहत iPhones में Sanchar Saathi ऐप जोड़ने की योजना नहीं बना रही है।
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि Apple का यह रुख महत्वपूर्ण है क्योंकि iOS में यथास्थिति बनाए रखने के लिए Apple की कंपनी-नीति पहले से यही रही है — जहाँ वे यूज़र की निजता और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
सरकारी मंशा बनाम निजी निजता का हनन
सरकार का कहना है कि Sanchar Saathi फ़ोन चोरी, फ्रॉड, फर्जी IMEI वाले फोन आदि से बचाव का उपाय है इसलिए इसे अनिवार्य बनाना जरूरी है।
लेकिन आलोचकों और प्राइवेसी कार्यकर्ताओं का तर्क है कि अगर ऐप अनइंस्टॉल या डिसेबल करना संभव नहीं होगा, तो यह व्यक्तियों की निजता और डिजिटल स्वतंत्रता के लिए खतरा बन सकता है।
Apple का रुख इस विवाद में इस सवाल को सामने लाता है क्या हर फोन मालिक को यह तय करने का अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह ऐसी ऐप अपने फोन में चाहे या नहीं।
Apple का रुख मायने रखता है
अगर Apple जैसे बड़े ब्रांड ने इस तरह के आदेशों का विरोध किया और कहा कि वह अपने प्राइवेसी-फर्स्ट पॉलिसी के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो यह सरकार और टेक्स्ट कंपनियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण संदेश है कि सुरक्षा नाम पर निजता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
वहीँ, यदि सरकार इस आदेश पर दृढ़ रहती है, और अन्य निर्माताओं (जिनके फोन iOS जैसे बंद सिस्टम न हों) इस आदेश को मान लेते हैं, तो भारत में अलग-अलग प्लेटफार्मों के फोन उपयोगकर्ताओं के अनुभव और निजता अधिकारों में भेद पैदा हो सकते हैं।
अंततः इस विवाद की जंग सिर्फ एक ऐप या कंपनी की नहीं है यह है उपयोगकर्ता की सहमति, निजता अधिकार, और मोबाइल-ऑपरेटिंग-सिस्टम की स्वायत्तता की।
